नीति और नियोजन और स्कूल लीडरशिप एकेडेमी (एस.एल.ए.)
नीति और नियोजन और स्कूल लीडरशिप एकेडेमी (एस.एल.ए.)
• नीति निर्माण के लिए सरकार को शोध आधारित पश्चपोषण प्रदान करना।
• शिक्षा विभाग के विविध स्तरीय मशीनरी के लिए नियोजन और प्रबन्धन पर क्षमता संवर्द्धन।
• नियोजन और सूक्ष्मनियोजन पर पी०आर०आई० प्रतिनिधियों के लिए क्षमता संवर्द्धन कार्यक्रमों का संगठन।
• राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और सर्व शिक्षा अभियान(एस०एस०ए) नियोजन प्रक्रिया में अनुसमर्थन।.
• साझेदारी हेतु नियोजन और प्रबन्धन आधारित विविध साहित्यों का प्रकाशन।
• शिक्षा विभाग के विविध वांछनीय कार्यक्रमों का नियोजन एवं अप्रेजल का संचालन।
• प्रबन्धकीय नीति और नियोजन संबंधी मुद्दों पर सेमिनार व पैनल परिचर्चा संगठित करना।
• प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा में सर्वोत्तम प्रबन्धकीय अभ्यासों की पहचान एवं प्रसार।
• कार्य निष्पादन और शैक्षिक आकलन के प्रबंधकीय तंत्र को सुदृढ़ करना।
• सभी स्तरों पर शैक्षिक नियोजन एवं प्रबन्धन के लिए संसाधन अनुसमर्थन प्रदान करना।
• नवीन चयनित, पदोन्नत एवं वर्तमान प्रबन्धकीय मानवशक्ति के लिए आधारभूत प्रशिक्षण, सेवारत प्रशिक्षण, पुनर्बोधात्मक कार्यक्रमों का संचालन।
• विभिन्न स्टैकहोल्डर्स एवं रूचि लेने वाले विभागों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
• विभिन्न स्तरीय मशीनरी के लिए उनकी मांग के अनुरूप लघु अवधि प्रशिक्षण।
• जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को नियोजन और प्रबन्धकीय मुद्दों पर निर्देशन प्रदान करना।
उत्तराखंड में स्कूल नेतृत्व कार्यक्रम
राष्ट्रीय शैक्षिक योजना और प्रसाशन संस्थान (नीपा) स्थित (एन.सी.एस.एल.) के तत्वावधान में स्कूल लीडरशिप अकादमी की स्थापना सीमेट उत्तराखण्ड में की गयी है । स्कूल लीडरशिप अकादमी उत्तराखण्ड, देहरादून स्कूल नेतृत्व विकास पर क्षमता विकास कार्यक्रमों के माध्यम से स्कूलों के रूपांतरण के लिए नई पीढ़ी के नेतृत्वकर्ताओं को विकसित करने में गहन रूप से संलग्न है। उत्तराखंड के सभी जिलों में स्थित डायटस में गठित राज्य संसाधन समूह के माध्यम से स्कूल लीडरशिप विकास कार्यक्रमों की मदद से स्कूल लीडरशिप अकादमी स्कूलों और संबंधित संसाधन संस्थानों के बीच नेटवर्किंग बढ़ा रहे हैं, ताकि अनुभवों का सार्थक आदान-प्रदान, पार्श्विक शिक्षा और साझा समस्या-समाधान की सुविधा मिल सके स्कूल लीडरशिप अकादमी उत्तराखण्ड, देहरादून अपने संसाधनों, डायटस और गैर-सरकारी संगठनात्मक संसाधनों के माध्यम से कार्यक्रम से संबंधित आवश्यक गतिविधियाँ सम्पादित कर रही है।
स्कूल नेतृत्व विकास कार्यक्रम मौजूदा और नए नियुक्त स्कूल संस्थाधय्क्षों एवं शैक्षिक प्रशासकों के साथ-साथ वरिष्ठ शिक्षकों एवं उन स्कूल प्रमुखों का आच्छादन करते हैं, जो कि सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त दोनों क्षेत्रों में कार्यरत हैं। स्कूल प्रमुखों के क्षमता विकास कार्यक्रम के लिए लघु एवं दीर्घ कालिक प्रशिक्षण मॉडल संचालित हैं । स्कूल लीडरशिप अकादमी उत्तराखण्ड, देहरादून में विद्यालयी शिक्षा स्तर के संस्थाधय्क्षों के लिए स्कूल नेतृत्व और प्रबंधन पर एक महीने का सर्टिफिकेट कोर्स भी आयोजित किया जाता है ।
कार्यक्रम के उद्देश्य
स्कूल नेतृत्व को बढ़ाना ताकि कार्यात्मक प्रबंधकों के रूप में उनकी वर्तमान भूमिका की समझ में बदलाव लाया जा सके और उन्हें उत्पादक और नवोन्मेषी नेता बनाया जा सके।
जिम्मेदार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नेतृत्व विकास को आगे बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों का एक महत्वपूर्ण समूह तैयार करना।
स्कूल प्रणाली में शिक्षण-अधिगम, व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास नवाचारों के क्षेत्रों में स्कूल प्रमुखों की विशेषज्ञता का निर्माण करना।
स्थानीय नेतृत्व (एसएमसी, एसडीएमसी वीईसी, पीटीए) और सिस्टम नेतृत्व को सशक्त बनाना ताकि वे स्कूल की गुणवत्ता में योगदान दे सकें।
उत्तराखंड में कार्यक्रम का विकास
राष्ट्रीय स्कूल नेतृत्व केंद्र (एनसीएसएल) ने स्कूल नेतृत्व विकास कार्यक्रम (एसएलडीपी) के लिए एसआईईएमएटी, उत्तराखंड को स्कूल नेतृत्व अकादमी के रूप में पहचाना है। एसएलडीपी की शुरुआत राज्य में वर्ष 2014-15 में निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ हुई थी।
1. उत्तराखंड में उत्पादक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूल नेतृत्व को बढ़ाना।
2. स्कूल प्रणाली में शिक्षण-अधिगम, व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास नवाचारों के क्षेत्रों में स्कूल प्रमुखों की विशेषज्ञता का निर्माण करना।
3. स्कूल की गुणवत्ता में योगदान देने के लिए स्थानीय नेतृत्व (एसएमसी, एसएमडीसी, वीईसी, पीटीए) और सिस्टम नेतृत्व को सशक्त बनाना।
4. समग्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूल सुधार योजना बनाने के लिए स्कूल प्रमुखों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
इस संबंध में सीमेट उत्तराखण्ड ने स्कूल प्रिंसिपलों, एस.सी.ई.आर.टी. संकायों, सीमेट संकायों और डायटस यानी एंकर संस्थानों के संकायों से मिलकर राज्य संसाधन समूह (एस.आर.जी.) का गठन किया है। एसआरजी सदस्य निम्नलिखित 6 प्रमुख क्षेत्रों में स्कूल प्रमुखों को प्रशिक्षित करते हैं-
1. स्कूल नेतृत्व पर दृष्टिकोण
2. स्वयं का विकास (स्व-विकास)
3. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में परिवर्तन
4. टीमों का निर्माण और नेतृत्व
5. अग्रणी नवाचार
6. अग्रणी भागीदारी
आधिकारिक और वित्तीय प्रबंधन के महत्व की पहचान करते हुए सीमेट उत्तराखण्ड ने इसे 7वें प्रमुख क्षेत्र के रूप में भी जोड़ा है।
इस कार्यक्रम के प्रारंभ से ही सीमेट उत्तराखण्ड ने अपने प्रमुख संस्थानों के माध्यम से कैस्केड मोडल में नेतृत्व प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 200 सदस्यों का एक एसआरजी समूह गठित किया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से लगभग 650 माध्यमिक विद्यालय प्रमुखों और 2521 प्राथमिक स्तर के विद्यालय प्रमुखों को प्रशिक्षित किया गया है।
स्कूल लीडरशिप अकादमी (एसएलए) के अंतर्गत की गई गतिविधियां (एसएलए)
(ए) उत्तराखंड में प्रबंधन पर स्कूल नेतृत्व में एक दिवसीय उन्मुखीकरण ऑनलाइन कार्यक्रम 18 फरवरी, 2017 को दून विश्वविद्यालय, देहरादून में आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य प्रतिभागियों को कार्यक्रम के अवलोकन से परिचित कराना और ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया को समझाना है। कार्यक्रम में निम्नलिखित अधिकारियों ने भाग लिया-
– माध्यमिक शिक्षा और प्रारंभिक शिक्षा निदेशालयों के अधिकारी।
– एससीईआरटी और एसआईईएमएटी के संकाय सदस्य।
– एपीएफ आदि जैसे भागीदार संस्थान।
– समग्र शिक्षा में एसएलडीपी कार्यक्रम के विशेषज्ञ और समन्वयक।
– सभी डाइट प्राचार्य और प्रत्येक डाइट से एक संकाय सदस्य।
– कार्यक्रम की देखरेख करने वाले समग्र शिक्षा के जिला समन्वयक।
– देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों के सभी खंड शिक्षा अधिकारी, उप शिक्षा अधिकारी और माध्यमिक विद्यालयों के एक प्रधानाचार्य। – शेष 10 जिलों के जिला मुख्यालय के एक ब्लॉक से बीईओ, उप शिक्षा अधिकारी और माध्यमिक विद्यालयों के एक प्रधानाचार्य। – राज्य संसाधन समूह के सदस्य।
(बी) 20 से 22 मार्च, 2017 को डाइट प्राचार्यों और संकाय के साथ तीन दिवसीय साझाकरण और एसएलडीपी प्रशिक्षण मॉड्यूल संदर्भीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया है। 10 दिवसीय नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यक्रम के छह निम्नलिखित क्षेत्रों के संदर्भीकरण के लिए छह समूह बनाए गए हैं।
1. स्कूल नेतृत्व पर दृष्टिकोण
2. स्वयं का विकास (स्व-विकास)
3. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में परिवर्तन
4. टीमों का निर्माण और नेतृत्व
5. नवाचार का नेतृत्व
6. भागीदारी का नेतृत्व